धर्मनगरी जोशीमठ में धूमधाम से मनाया गया महायोगी श्रीअरविन्द का 151 वां जन्मोत्सव।
बदलता गढ़वाल। धर्मनगरी जोशीमठ में धूमधाम से मनाया गया महायोगी श्रीअरविन्द का 151 वां जन्मोत्सव।
जोशीमठ। पौराणिक और ऐतिहासिक नगरी जोशीमठ(ज्योतिर्मठ) में *श्री अरविन्द अध्यन्न केंद्र के तत्वावधान में* भारतीय ज्ञान परम्परा के भास्कर *महर्षि श्री अरविन्द का 151वां जन्म जयंती समारोह* हर्षोल्लास से मनाया गया । आध्यात्मिक कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीअरविन्द और श्रीमाँ के चित्र पर दीप जलाकर और पुष्प अर्पित करके किया गया । इस अवसर पर नगर पालिका जोशीमठ के अंतर्गत आने वाले सभी राजकीय और निजी विद्यालयों के छात्र छात्राओं ने भाषण, पोस्टर, चित्रकला ,निबंध आदि की आकर्षक प्रस्तुति के माध्यम से महायोगी के जन्म दिन को यादगार बनाया। विशेष सराहना मिली श्री बद्रीनाथ वेद वेदाङ्ग संस्कृत महाविद्यालय जोशीमठ के छात्रों के द्वारा प्रस्तुत “श्रीअरविन्द की तपस्या : दिव्य धरती पर दिव्य जीवन” नाटक को , जिसमें प्रभावी संवादों के माध्यम से प्रतिभाशाली छात्रों ने श्रीअरविन्द के संदेश को जनमानस के सामने प्रस्तुत किया ।
जोशीमठ में 2015 से संचालित अध्ययन केंद्र की ओर से लगातार आयोजित हो रहे इस समारोह में *मुख्य अतिथि* के रूप में बोलते हुए राजकीय महाविद्यालय जोशीमठ के प्राचार्य प्रो.(डॉ.) वी. एन. खाली ने कहा कि श्रीअरविन्द का व्यक्तित्व बहुआयामी रहा है। वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम के नायक, महायोगी, कवि, दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरु और अतिमानस के अवतार रहे हैं । उन्होंने भारत को देखने, समझने की एक पूरी नई दृष्टि प्रदान की है । *विशिष्ट अतिथिगण के रूप में* कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश कपरुवांण, पूर्व अधिशासी अधिकारी और गणमान्य नागरिक भगवती प्रसाद कपरुवांण, ब्लॉक प्रमुख जोशीमठ श्री हरीश परमार जी, राज्य सरकार में दायित्वधारी श्री कृष्ण मणि थपलियाल और नगर पालिका की सभासद उनियाल जी ने । अपने प्रेरक संबोधन में विशिष्ट अतिथियों ने कहा, श्रीअरविन्द के जीवन के अलग-अलग आयामों पर प्रकाश डाला और समकालीन भारत की विकास यात्रा के लिए महर्षि की दृष्टि को उपयोगी बताया । आयोजन का केंद्रीय विषय था –“महर्षि श्री अरविन्द और नए भारत का स्वप्न” जिस पर श्रीअरविन्द के शिष्य डॉ. चरणसिंह केदारखंडी ने बीज व्याख्यान देते हुए कहा नए भारत का निर्माण राष्ट्र को लेकर नागरिकों की विकसित और सकारात्मक सोच ही कर सकती है। हमें अपने भारतीय होने पर गर्व करने के साथ साथ भारत की विरासत का जीवंत उदाहरण होना होगा और दुनिया भर से सर्वश्रेष्ठ सीखकर उसे राष्ट्र निर्माण में अर्पित करना होगा।
केंद्र के सचिव ओमप्रकाश डोभाल ने केंद्र की गतिविधियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य अरविंद पंत ने केंद्र अध्यक्ष के रूप में उद्बोधन दिया और वरिष्ठ सदस्य महावीर फर्स्वाण “श्रद्धालु” ने सभी प्रतिभागियों, उनके विद्यालयों और उपस्थित गणमान्य नागरिकों का आभार प्रकट किया ।
इस अवसर पर डॉ. राजकिशोर सुनिल, कोषाध्यक्ष प्रकाश पँवार, रवि थपलियाल, विनीता भट्ट, अनिल पँवार, श्रीमती देवेश्वरी कपरुवांण, सुरेंद्र खत्री, देवी प्रसाद देवली, आचार्य तुलसीराम देवशाली , प्रियंका देवशाली और वरिष्ठ पत्रकार राकेश डोभाल आदि उपस्थित रहे।
श्रीमातृ ध्यान से प्रारंभ होने वाले इस आध्यात्मिक आयोजन का समापन उन्हीं के स्मरण से हुआ