विशेषज्ञ समिति ने विधानसभा की 396 तदर्थ नियुक्तियों को माना असंवैधानिक।

उत्तराखंड (बदलता गढवाल ब्यूरो)- विशेषज्ञ समिति ने विधानसभा की 396 तदर्थ नियुक्तियों को माना असंवैधानिक।

काशीपुर के RTI कार्यकर्ता और वकील नदीम उद्दीन ने सूचना के अधिकार के तहत एक्सपर्ट कमेटी रिपोर्ट को लेकर जानकारी मांगी थी जिसमें यह तथ्य सामने आया है।

स्पीकर द्वारा बनाई गई विशेषज्ञ समिति ने विधानसभा की 396 तदर्थ नियुक्तियों को असंवैधानिक माना था और
2001 से 2015 तक की गयी 168 नियुक्तियों पर भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर परीक्षण कराकर एक्शन लेने की सिफारिश की थी।
नदीम उद्दीन द्वारा सूचना मांगने पर विधानसभा की बेवसाइट पर एक्सपर्ट कमेटी को रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया है।

ऋतु खंडूरी भूषण द्वारा उत्तराखंड विधानसभा की नियुक्तियों की जांच के लिये बनायी गयी विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट 20 सितम्बर 2022 को सौंप दी थी। इसमें 2001 से लेकर 2021 तक की गयी सभी 396 तदर्थ नियुक्तियों को असंवैधानिक और गलत माना गया है। इसमें 228 नियुक्तियों को निरस्त करने योग्य माना है।

जबकि 2013 से 2016 तक विनियमित की गयी 2001 से 2015 तक की गयी 168 नियुक्तियों को भी गलत व असंवैधानिक तो माना है लेकिन इस पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के उमा देवी के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में परीक्षण कर निर्णय लिये जाने की सिफारिश की है।
नदीम उद्दीन ने अपने सूचना प्रार्थना पत्र से विधान सभा सचिवालय के लोक सूचना अधिकारी से विधानसभा में नियुक्तियों के परीक्षक के सम्बन्ध में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट व इस पर कार्यवाही की सूचना मांगी थी। पहले तो इस सूचना प्रार्थना पत्र का उत्तर ही नहीं मिला जब आरटीआई कार्यकर्ता नदीम द्वारा प्रथम अपील की गयी तो विशेषज्ञ समिति की 217 पृष्ठों की रिपोर्ट विधानसभा की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर लोक सूचनाधिकारी/अनुसचिव मनोज कुमार द्वारा अपने पत्रांक 28 दिनांक 6 जनवरी 2023 से उत्तर उपलब्ध कराया है।नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार अध्यक्ष विधानसभा द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट विधानसभा सचिवालय की वेबसाइट ूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूू पर उपलब्ध है।

रिपोर्ट के अध्ययन के बाद यह सनसनीखेज बात प्रकाश में आयी है कि विधानसभा सचिवालय में कार्मिकों की नियुक्तियों के विधि विरूद्ध होने न होने सम्बन्धी आख्या के पैरा 12 में सभी 396 तदर्थ नियुक्तियों को असंवैधानिक माना है।

इसमें स्पष्ट उल्लेख किया है कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2001 से 2022 तक की गयी तदर्थ नियुक्तियों हेतु सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नहीं कर भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 तथा अनुच्छेद 16 का उल्लंघन किया गया है।

पैरा 11 में इन सभी नियुक्तियों को नियमावलियों के प्रावधानों के उल्लंघन में होने का भी उल्लेख है। जिन प्रावधानों का उल्लंघन रिपोर्ट में दर्शाया गया है उसमें चयन समिति का गठन नहीं करना, तदर्थ नियुक्ति हेतु विज्ञापन या सार्वजनिक सूचना नहीं देना और न ही नाम रोजगार कार्यालयों से प्राप्त करना, आवेदन पत्र मांगे बिना व्यक्तिगत आवेदनों पर नियुक्ति प्रदान करना, कोई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित नहीं करना, नियमावलियों के प्रावधानों के अनुसार उत्तराखंड राज्य की अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अन्य श्रेणियों के अभ्यर्थियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित न करना (आरक्षण लाभ) शामिल हैं।

आख्या के पैरा 3 में वर्षवार तदर्थ नियुक्तियों की संख्या का उल्लेख है। इसमें 2001 में 53, 2002 में 28, वर्ष 2003 में 5, वर्ष 2004 में 18, वर्ष 2005 में 08, वर्ष 2006 में 21, वर्ष 2007 में 27 तथा वर्ष 2008 में 1, वर्ष 2013 में 01, वर्ष 2014 में 7, वर्ष 2017 में 149, वर्ष 2020 में 6 तथा वर्ष 2021 में 72 नियुक्तियां शामिल है।

रिपोर्ट में वर्ष 2009 से 2012, 2015, 2017 से 2019 तथा 2022 वर्षों में कोई तदर्थ नियुक्ति नहीं दर्शायी गयी है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस सूची में उत्तर प्रदेश से आये कार्मिक, सेवानिवृत कार्मिक, जिनका निधन हो चुका है, त्याग पत्र देने वाले, मृतक आश्रित तथा उपनल/आउटसोर्सिंग के आधार पर रखे काार्मिक शामिल नहीं हैं।

आख्या के पैरा 4 में जिन पदों पर 396 तदर्थ नियुक्तियां की गयी हैं, उन 24 पदों का उल्लेख है। इसमें प्रतिवेदक के 20 पद, सम्पादक के 5, अनुभाग अधिकारी (शोध एवं संदर्भ) के 1, डिप्टी मार्शल का 1, सूचना अधिकारी का 1, अपर निजी सचिव के 40, समीक्षा अधिकारी के 13, सहायक समीक्षा अधिकारी के 78, सहायक समीक्षा अधिकारी (शोध एवं सदर्भ) के 14, सहायक समीक्षा अधिकारी (लेखा) के 20, उप प्रोटोकोल अधिकारी के 4, व्यवस्थापक के 3, सूचीकार के 8, कम्प्यूटर सहायक के 14, कम्प्यूटर ऑपरेटर के 3, स्वागती के 4, महिला रक्षक के 15, रक्षक पुरूष के 49, तकनीशियन के 2, हाउसकीपिंग सहायक के 2, चालक के 22, फोटोग्राफर का 1, डाक रनर का 1, तथा परिचारक के 75 पद शामिल है

रिटायर्ड आई.ए.एस. दिलीप कोटिया (अध्यक्ष), सुरेन्द्र सिंह रावत तथा अवनेन्द्र सिंह नयाल की समिति ने केवल नियुक्तियों की वैधता पर ही आख्या प्रस्तुत नहीं की है बल्कि मुकेश सिंघल की सचिव विधानसभा के रूप में प्रोन्नति की वैधता, सचिव के अतिरिक्त अन्य पदों पर प्रोन्नति की वैधता, विधानसभा सचिवालय में की गयी नियुक्तियों के सेवा नियमावलियों में निर्धारित योग्यता के अनुरूप होने /न होने के सम्बन्ध में भी आख्या प्रस्तुत की है। इसके अतिरिक्त भविष्य में सुधार हेतु 15 सुझाव भी प्रस्तुत किये हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed