वनाग्नि की रोकथाम के लिए बनाए प्रभावी कार्ययोजना-जिलाधिकारी ने दिए निर्देश।*

बदलता गढ़वाल न्यूज,
गोपेश्वर।

*एनआरएलएम समूह की महिलाओं, युवक एवं महिला मंगल दलों को करे शामिल।*

वनाग्नि घटनाओं की रोकथाम एवं उसके प्रबंधन और कार्य योजना को लेकर शुक्रवार को जिलाधिकारी संदीप तिवारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा अनुश्रवण समिति की बैठक हुई। जिसमें वन विभाग के अधिकारियों को वनाग्नि की रोकथाम हेतु पूरी तैयारी रखने, पर्यावरण एवं जंगलों के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने और सबकी सहभागिता से वनाग्नि घटनाओं की रोकथाम हेतु कार्य करने के निर्देश दिए गए।
 
जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि ब्लाक स्तर, ग्राम पंचायत एवं वन पंचायत स्तर पर शीघ्र बैठक आयोजित कर वनाग्नि सुरक्षा समितियों को सक्रिय करें। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, युवक एवं महिला मंगल दल को स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण देकर वनाग्नि के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करें और उनका सहयोग लें। वन आरक्षी एवं वन दरोगा संबंधित क्षेत्र के पटवारी एवं ग्राम विकास अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए वनाग्नि दुर्घटनाओं को रोकने में सहायता लें। जिले में संचालित विभिन्न मंदिर समितियों से भी समन्वय रखा जाए। फायर उपकरणों को क्रय करने के लिए समय पर टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाए। जिन वन पंचायतों को अभी तक फायर किट नही मिली है, उनको प्राथमिकता पर इस बार फायर किट उपलब्ध कराई जाए। अति संवेदनशील वन क्षेत्रों में चाल-खाल, खंतियां बनाने के लिए प्रस्ताव उपलब्ध करें। गांव में वन सरपंच एवं आम लोगों के साथ गोष्ठियों का आयोजन करते हुए वनाग्नि दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाए।

जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि घटनाओं को रोकने के लिए संवेदनशील और अति संवेदनशील क्षेत्रों में पिरूल घास को साफ कर फायर लाईन बनायी जाए। फायर सीजन में पर्याप्त संख्या में फायर वाचर एवं ग्राम प्रहरी की तैनाती सुनिश्चित करें। वनों में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। वनों में आग बुझाने एवं जागरूकता कार्यक्रमों में अच्छा सहयोग करने वाले व्यक्ति एवं समूह विशेष को पुरस्कृत किया जाए।

जिलाधिकारी ने फायर सीजन के दौरान सभी विभागों को आपसी समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश भी दिए। वन क्षेत्राधिकारियों को सभी अधिकारियों, वन पंचायत सरपंचों एवं ग्राम प्रहरी के फोन नंबर अपडेट रखने व निर्धारित प्रारूप में समय से वनाग्नि दुर्घटनाओं की जानकारी प्रसारित कराने को कहा, ताकि आग लगने पर बुझाने की त्वरित कार्यवाही की जा सके। बैठक में वनाग्नि की रोकथाम के लिए वन पंचायत सरपंचों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं अन्य जन प्रतिनिधियों के सुझाव भी लिए गए।

पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने कहा कि फायर सीजन से पहले सभी संवेदनशील क्षेत्रों में संयुक्त रूप से पेट्रोलिंग की जाएगी। साथ ही सभी कार्यदायी संस्थाओं के मजदूरों का सत्यापन कराया जाएगा। उन्होंने फायर सीजन में त्वरित कार्रवाई हेतु व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के निर्देश भी दिए।  

बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे ने बताया कि चमोली जिले में 506094.473 है0 वन क्षेत्र है। इसमें से 161547.25 है0 वन क्षेत्र संवेदनशील और 39736.62 है0 अति संवेदनशील है। पिछले वर्ष जिले में वनाग्नि की 228 घटनाएं हुई थी जिसमें 217.11 है0 वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। उन्होंने बताया कि फायर सीजन में सरफेस फायर, ग्राउंड फायर तथा क्राउन फायर से वनो को अत्यधिक नुकसान होता है। जिले में अधिक वन क्षेत्र, वनों का दुर्गम क्षेत्रों में स्थित होने एवं मानव संसाधनों के अभाव के कारण वनाग्नि की रोकथाम में व्यावहारिक कठिनाई होती है। वनाग्नि की रोकथाम के लिए 106 क्रू स्टेशन स्थापित किए गए है। इस दौरान उन्होंने वन विभाग में उपलब्ध संसाधनों एवं उपकरणों की जानकारी दी और वनाग्नि के प्रति जन जागरूकता एवं अग्निशमन में सहयोग करने की अपील की। डीएफओ ने बताया कि वनों में आग लगाने वालों की गोपनीय सूचना देने वाले व्यक्ति को 15 हजार रुपए तक का इनाम दिया जाएगा।
 
बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे, प्रभागीय वनाधिकारी वीवी मर्तोलिया, अपर जिला निर्वाचन अधिकारी विवेक प्रकाश, परियोजना निदेशक आनंद सिंह, आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी सहित समस्त वन क्षेत्राधिकारी एवं वन सरपंच मौजूद थे।  

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