* देश की जनता को अधिकार संपन्न नागरिक से कर्तव्य परायदेशण वफादार प्रजा में बदलने की कोशिश कर रही मोदी सरकार: दीपंकर भट्टाचार्य*


*देश की जनता को अधिकार संपन्न नागरिक से कर्तव्य परायदेशण वफादार प्रजा में बदलने की कोशिश कर रही मोदी सरकार: दीपंकर भट्टाचार्य*

लोकतंत्र के तीनों स्तंभों की संविधान और जनता के प्रति जवाबदेही को खत्म कर मोदी सरकार देश को चुनावी तानाशाही में तब्दील करने की कोशिश में : माले महासचिव

• मोदी सरकार का अमृतकाल स्थायी आपातकाल का ही दूसरा नाम।

• संस्थाओं और समाज के पुनर्गठन और तबाही के साथ संविधान का मनुस्मृतिकरण किया जा रहा है

नैनीताल। भाकपा माले की उत्तराखण्ड राज्य कमेटी द्वारा नैनीताल में “वर्तमान समय में लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन नैनीताल समाचार सभागार, तल्लीताल में किया गया।

भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने मुख्य वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि, “देश को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक अधिकार आज़ादी के साथ मिले। हमारे लोकतंत्र की कमजोरी ने फ़ासीवाद को मौका दिया। आज देश को मजबूती लोकतंत्र और उसे बचाने और जीवंत बनाने के लिए व्यापक एकता वाले आंदोलन की जरूरत है। संविधान में तो न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका की शक्तियां अलग- अलग हैं। स्वयं के चुने होने के आधार पर मोदी सरकार बाकी दोनों स्तंभों को अपने मुताबिक चलाना चाहती है। कानून मंत्री इसीलिए निरंतर न्यायपालिका पर हमला बोल रहे हैं। जबकि वास्तविकता में तीनों स्तंभ संविधान और जनता के प्रति जवाबदेह हैं। मोदी सरकार इस जवाबदेही को खत्म करके देश को चुनावी तानाशाही में तब्दील करने की तरफ बढ़ रही है।
न्यायपालिका में जवाबदेही और उसमें वंचित तबकों के प्रतिनिधित्व का सवाल अपनी जगह है, लेकिन न्यायिक आयोग बना कर मोदी सरकार, न्यायपालिका को भी चुनाव आयोग जैसा अपने दबाव में काम करने वाला बना देना चाहती है। यह न्यायपालिका के साम्प्रदायिकरण का रास्ता है। इसी तरह अग्निपथ फौज के ठेकाकरण की योजना तो है। अग्निपथ योजना के जरिये फौज के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को खत्म करना का गहरा षड्यंत्र रचा जा रहा है। सेना के ढांचे को इस तरह पुनर्गठित किया जा रहा है, जिससे एक संस्था के तौर पर उसे गहरी चोट पहुंचेगी। कुल मिलाकर कानून के राज के सारे कलपुर्जों को नष्ट किया जा रहा है।”

कामरेड दीपंकर ने कहा कि, “मीडिया पर तो सरकार का कब्जा है ही, अब आई टी नियमों में बदलाव करके देश में जो वैकल्पिक माध्यमों के जरिए लोग अपनी बात कह रहे हैं, उसे भी खत्म करने की तैयारी है। यह संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी पर भी हमला है।”

उन्होंने कहा कि, “लोकतंत्र के केंद्र में होता है, एक अधिकार संपन्न नागरिक। लेकिन मोदी सरकार नागरिक अधिकारों पर हमले के साथ इस बात पर जोर दे रही है कि अधिकार की नहीं कर्तव्य की बात होनी चाहिए। इस तरह अधिकार संपन्न नागरिक से कर्तव्य परायण वफादार प्रजा में बदलने का प्रयास चल रहा है। इस कोशिश को अमृतकाल कहा जा रहा है, जो कि स्थायी आपातकाल का ही दूसरा नाम है। व्यापक स्तर पर और सूक्ष्म स्तर पर लोकतंत्र को पूरी तरह खत्म किया जा रहा है।
समाज में नफ़रत, झूठ और लोगों को बांटने की कोशिश अपने चरम पर है। इतिहास के पाठ्यक्रम को बदलना, इस विभाजनकारी परियोजना का हिस्सा है। त्योहारों को खुशी के बजाय हिंसा और आतंक के उत्सव में बदला जा रहा है। अल्पसंख्यकों को भी अछूत बनाने की कोशिश की जा रही है। हिंदू राष्ट्रवाद पूरी तरह से देश को बांट देगा।
इस देश का पूंजीवाद सर्वाधिक अलोकतांत्रिक है, जिसमें वंशवाद हावी है और न पूंजी पर कोई कर है और ना ही अकूत संपदा के उत्तराधिकार पर कोई कर है।”

उन्होंने कहा कि,”आजादी के बाद बनी राज्य की संस्थाओं के पुनर्गठन और तबाही के साथ समाज का पुनर्गठन और तबाही हो रही है। आज संविधान का मनु स्मृतिकरण किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि, “बिहार में रामनवमी की सांप्रदायिक हिंसा के दूसरे दिन अमित शाह वहां वोट मांगने पहुंच गए। जिन अमित शाह की सरकार ने बिल्किस बानो के बलात्कारी और उनके परिवार के हत्यारों को न केवल रिहा किया बल्कि उनका नायकों जैसा स्वागत किया, वे बिहार में दंगाइयों को उल्टा लटकाने का दावा कर रहे हैं। वे बिहार में सांप्रदायिक घृणा और कत्लेआम का गुजरात जैसा ही मॉडल दोहराना चाहते हैं।”

माले महासचिव ने कहा कि, “उत्तराखंड तो आपदाओं से निपटने वाला प्रदेश है. यहां विकास के नाम पर आपदाएं थोप दी गयी हैं. जैसे आपदा में बचाव, विस्थापन और पुनर्निर्माण करना होता है, उसी तरह की जरूरत आज देश के लोकतंत्र को है।”

इस अवसर पर माले पोलित ब्यूरो सदस्य डा. संजय शर्मा, राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी, प्रो एम सी जोशी, प्रो एच सी एस बिष्ट, वरिष्ठ रंगकर्मी जहूर आलम, हाई कोर्ट अधिवक्ता सैयद नदीम मून, अरुण रौतेला,एडवोकेट दुर्गा सिंह मेहता, बी एस मेहता, वरिष्ठ कम्युनिस्ट किसान नेता बहादुर सिंह जंगी, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय कार्यकरिणी सदस्य मदन मोहन चमोली, पंकज भट्ट, एडवोकेट राजेन्द्र असवाल, एडवोकेट सुभाष जोशी, एडवोकेट पंकज जोशी, डा कैलाश पाण्डेय, आइसा जिला अध्यक्ष धीरज कुमार, माले के उधम सिंह नगर सचिव ललित मटियाली, गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अंकित उचोली, प्रकाश पनेरु, अतुल सती, प्रकाश साथी, जय शाह, अजय आदि मुख्य रूप से शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन भाकपा माले नगर सचिव एडवोकेट कैलाश जोशी ने किया।

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