अच्छी ख़बर: गोपेश्वर महाविद्यालय में महक उठी गढ़वाली व्यंजनों की रस्याण।
*गोपेश्वर महाविद्यालय में महक उठी गढ़वाली व्यंजनों की रस्याण*
गोपेश्वर।
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर में शनिवार को बीएड विभाग द्वारा गढ़वाली व्यंजनों का भोज उत्सव ‘रस्याण’ मनाया गया।
बीएड पाठ्यक्रम में पाठ्य सहगामी क्रिया के अन्तर्गत स्थानीय लजीज़ व्यंजनों को बनाया गया। व्यंजन प्रतियोगिता में दस टीमों ने प्रतिभाग किया।
प्रत्येक ग्रुप ने पृथक-पृथक स्थानीय व्यंजन बनाये। कार्यक्रम में प्रो. स्वाति नेगी, समाजसेवी अंकोला पुरोहित, क्रांति भट्ट, मनोज रावत, डॉ बी पी देवली, डॉ जगमोहन नेगी, डॉ पीएल शाह, डॉ डीएस नेगी, डॉ प्रियंका उनियाल, डॉ पूनम टाकुली, डॉ वन्दना लोहनी, डॉ मनीष मिश्रा, डॉ रमाकांत यादव आदि ने व्यंजनों का स्वाद लिया और कहा कि हमारा स्थानीय खान-पान स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी है।
पहाड़ी ढाबा ग्रुप ने मसाला पूरी, रायता, खटाई, गुलाब जामुन, आलू का झोल; पहाड़न की रसोई ग्रुप ने घुघुते, कोदे की भरी रोटी केले के गुलगुले, कण्डाली का साग, आलू गोभी के पकोड़े; कल्यो ग्रुप ने रोटाने, झंगोरे की खीर, ओगल के नमकीन गुलगुले, भटवाणी; जायका ग्रुप ने सुन्दरकला, पालक पनीर, मडुवे की रोटी, पुलाव; बुग्याल ग्रुप ने गहथ की दाल, राई की सब्जी, खीर, चौलाई के लड्डू; सीधे पहाड़ से ग्रुप ने गाजर का हलवा, अरबी के गुटके, राजमा; क्रेजी ग्रुप ने सरसों का साग, मक्के की रोटी, कंकेड़े; समौंण ग्रुप ने स्वाला, चौंसा, रायता, खीर; ठेट पहाड़ी ग्रुप ने सोयाबीन की दाल, काली दाल, आलू के गुटके; स्वादिष्टम् ग्रुप ने छोले कुल्चे, गोलगप्पे, पहाड़ी दाल आदि व्यंजन बनाये थे।
इस अवसर पर डॉ. अखिलेश कुकरेती, डॉ विधि ढौंडियाल, डॉ मनोज नौटियाल, डॉ रुपिन कण्डारी, डॉ समीक्षा, डॉबबीता आदि उपस्थित रहे।