अच्छी ख़बर: मील का पत्थर साबित होगी 99 किमी प्रस्तावित ग्वालदम- वाण – तपोवन सड़क मार्ग।

बदलता गढ़वाल न्यूज,
संजय चौहान।

120 साल पुराने पैदल लार्ड कर्जन रोड से होकर गुजरेगी ये प्रस्तावित सड़क। चमोली के 5 ब्लॉक के पिछड़े गांवों की जीवन रेखा और आर्थिकी बनेगी ये सड़क। सामरिक दृष्टि और पर्यटन के लिए अलावा धार्मिक दृष्टि से भी ये सड़क अति महत्वपूर्ण होगी। जनपद चमोली के पांच ब्लॉक थराली, देवाल, नंदानगर, दशोली और ज्योतिर्मठ विकासखंड के सुदूरवर्ती गांवों की लाइफ लाइन बनेगी प्रस्तावित सड़क।

सड़क निर्माण से ये गांव जुड़ेंगे मुख्यधारा में

ग्वालदम, देवाल, मुन्दोली, वाण, कनोल, सुतोल, रामानी, झींझी, पाना, ईरानी, तपोवन

ऐतिहासिक 200 किमी लार्ड कर्जन पैदल रोड से होकर गुजरेगी सड़क ..

ग्वालदम से तपोवन तक 120 साल पुराने पैदल लार्ड कर्जन रोड से होकर गुजरेगी ये सड़क। चमोली के 5 ब्लाक से गुजरने वाले इस मार्ग की दूरी लगभग 200 किमी है। जो थराली ब्लाक के ग्वालदम से जोशीमठ ब्लाक के तपोवन तक दो दर्जन से अधिक गांवों से होकर गुजरता है। इस ट्रैक को खासतौर पर यूरोपियन देशों के पर्यटकों बेहद पसंद करतें हैं। हर साल न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, सहित दर्जनों देशों के लोग यहाँ का रुख करतें हैं। इस मार्ग का निर्माण ब्रिटिश भारत वायसराय रहे लार्ड कर्जन ने करवाया था। लार्ड एलिग्न द्वितीय के बाद 1899 में लार्ड कर्जन भारत के वायसराय बने और 1905 में बंगाल विभाजन के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। लेकिन भारत में अपने 6 साल के कार्यकाल में कर्जन ने बहुत सारे जनहित से जुड़े कार्य किये। पुलिस सुधार, शैक्षिक सुधार, आर्थिक सुधार, रेलवे का विकास, सैनिक सुधार, और 1904 में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना भी कर्जन के ही कार्यकाल में हुई थी। कहा जाता है की वे प्रकृति प्रेमी भी थे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लगभग पूरे भारत का भ्रमण किया।

इस सड़क से प्रकृति को बेहद करीब से आनंद ले सकते हैं..

कुमाऊँ और गढ़वाल को जोड़ने वाले इस 99 किमी मार्ग का निर्माण पर्यटकों की आमद बढ़ाएगा। पर्यटक इस मार्ग से होते हुए हिमालय के विभिन्न नजारों का लुत्फ़ ले सकें। हिमालय को करीब से जानने वालों के लिए ये मार्ग किसी रोमांच से कम नहीं है। रास्ते भर इस मार्ग से गांवो, बुग्यालों, तालों, पेड़ों, जंगली जानवरों, पक्षियों और पहाड़ की संस्कृति के दीदार होतें हैं। इस मार्ग से त्रिशूल लेकर केदारनाथ, चौखंबा, नीलकंठ, कामेट, गौरी पर्वत, हाथी पर्वत, नंदादेवी, नंदा घुघटी, सहित हिमालय की कई पर्वत श्रेणी, औली, गोरसों, सिंबे बुग्याल, नरेला, बालपाटा, रामणी, आली, मोनाल टॉप, वेदनी बुग्याल, आली बुग्याल, रूपकुंड जैसे मखमली बुग्यालों को देखा जा सकता है। राज्य बृक्ष बुरांस, राज्य पक्षी मोनाल, राज्य पशु कस्तूरी मृग भी देखने को मिलतें हैं। इसके अलावा हजारों प्रकार के फूल और वनस्पति भी रोमांचित कर देती है। यही नहीं 12 साल में आयोजित होने वाली नंदा देवी राजजात और वार्षिक लोकजात में देव डोली और छंतोलीयां अधिकतर इसी सड़क से होकर गुजरेगी।

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