आस्था: नारायणबगड़ ब्लॉक के कोट-भटियाणा में उत्तरी कडाकोट की आराध्य नैणी देवी की दियारा यात्रा शुरू, 6 महीने तक चलेगी यात्रा।
नारायणबगड़ ब्लॉक के कोट-भटियाणा में उत्तरी कडाकोट की आराध्य नैणी देवी की दियारा यात्रा शुरू, 6 महीने तक चलेगी यात्रा।
ग्राउंड जीरो से
प्रदीप सिंह/बदलता गढ़वाल
नारायणबगड़। सीमांत विकासखंड के कोट-भटियाणा गांव में नैणी माता की दियारा यात्रा शुरू हो गई है। रविवार को वैदिक मंत्रोच्चार, विधि विधान एवं जयकारों के साथ नैणी देवी की डोली गृभ ग्रह से मन्दिर परिसर में लाई गई। इसके बाद मन्दिर परिसर में सैकड़ो की संख्या में उपस्थित देवी के भक्तों ने पूजा अर्चना कर मनोतियो मांगी। इस दौरान सभी भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिला। नैणी देवी की दियारा यात्रा आगामी छः महीनों तक चलेगी।
38 वर्षो के बाद उत्तरा कडाकोट की आराध्य देवी नैणी माता की दियारा यात्रा का शुभारंभ हो गया। सुबह से ही मन्दिर परिसर में विशेष पूजा अर्चना शुरू की गई। मन्दिर के कुल पुरोहित विशम्बर सती के नेतृत्व में माता की विशेष पूजा अर्चना पूरी की। उत्तरा कडाकोट की आराध्य नैणी (नागनी) देवी की दियारा यात्रा में कोट, भटियाना एवं भुवलकाडी (ग्वाड़) शामिल है। इसके बाद तीनों गांवों के लोगो ने पंच पूजा में सम्मिलित होकर अपने परिवार की कुशलता के लिए मनोकामना की। एक महीने की पूजा अर्चना के बाद 16 अक्टूबर से भ्रमण पर अपने ध्यानियों की कुशलक्षेम पूछने जाएगी।
*विशेष परम्परा:-*
नैणी (नागनी) देवी मंदिर की कुछ पौराणिक मान्यताएं है जिससे यह एक अलग पहचान रखता है। ऐसी मान्यताएं है कि मन्दिर परिसर में एक बड़ा कुंड स्थित है जिसमे एक मटकी होती है। पूजा अर्चना के बाद कुंड को खोला जाता है, उस कुंड में एक मटकी रहती है। जिसकी रक्षा नागनी देवी स्वयं करती है। मटकी को निकालने पर उसमें से दूध व मक्खन निकलता है। यह एक विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है।
घट उत्सव के बाद समस्त स्थानीय महिलाओं द्वारा देवी की कलश शोभा यात्रा निकाली गई जिमसें आगे से छाबडियो जाती है और पीछे से कलश यात्रा। सभी लोगो ने बढ़ चढ़ कर प्रतिभाग किया। कलश यात्रा के बाद महिला मंगल दलों एवं स्कूल के बच्चों द्वारा विभिन्न से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गए।
इस अवसर पर मन्दिर समिति के अध्यक्ष दिवाकर प्रसाद डिमरी, उदय सिंह नेगी, जगत सिंह बुटोला, कान सिंह भट्ट, नरेश सिंह, मथुरा प्रसाद, भूपेंद्र सिंह नेगी, कल्पेश्वर रतूड़ी, आनंद सिंह रावत आदि मौजूद थे।