हमारे समय के लिए बहुत प्रासंगिक है श्री माताजी का जीवन और संदेश: प्रो0 प्रीति कुमारी

बदलता गढ़वाल न्यूज,
ज्योतिर्मठ(चमोली)।
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ के एडूसेट सभागार में आज आध्यात्मिक विभूति और श्रीअरविन्द सोसायटी पॉन्डिचेरी की संस्थापक श्री माताजी के जन्म जयंती पर्व पर एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि/अध्यक्ष बोलते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. प्रीति कुमारी ने कहा कि ज्ञान-विज्ञान, कला और वैभव की नगरी फ्रांस की राजधानी पेरिस में 21 फरवरी 1878 को माताजी का प्रादुर्भाव हुआ और उन्होंने अपनी साधना के लिए भारत भूमि का वरण किया।
माताजी का भारत आगमन पूरब और पश्चिम, विज्ञान और अध्यात्म की ज्ञान परंपरा का संगम भी था। अपने आध्यात्मिक कर्म के लिए उन्होंने महर्षि श्रीअरविन्द की तपोभूमि पॉन्डिचेरी को चुना और समय समय पर श्रीमती इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसी विभूतियों का मार्गदर्शन भी किया।
प्राचार्य ने कहा कि अपनी आध्यात्मिक दृष्टि के कारण माताजी ने स्वास्थ्य, शिक्षा, नारी सशक्तिकरण, जीवन प्रबंधन, मानव एकता, नवाचार और उद्यमशीलता के क्षेत्र में जो प्रयोग किये वे हमारे समय के लिए बहुत उपयोगी हैं। विषय की सारगर्भित भूमिका रखते हुए डॉ. नंदन सिंह रावत ने कहा कि पूर्ण शिक्षा का जो मॉडल श्रीमाताजी ने दिया है वह हमारे समय में शिक्षा और शिक्षा व्यवस्था की अधिकांश समस्याओं का समाधान लिए हुए है इसलिए शिक्षाविदों को माताजी को और गंभीरता से पढ़ने की ज़रूरत है। डॉ. रावत ने कहा कि जोशीमठ महाविद्यालय और श्रीअरविन्द सोसायटी के बीच शैक्षिक आदान प्रदान के लिए 10 साल का एक अनुबंध है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को शोध कार्य और शैक्षिक भ्रमण के लिए पॉन्डिचेरी भी ले जाया जाएगा।
श्रीअरविन्द के शिष्य और गढ़वाल विश्वविद्यालय से महर्षि श्रीअरविन्द पर पहले पीएचडी उपाधि शोधार्थी डॉ. चरणसिंह केदारखंडी ने बीज व्याख्यान देते हुए कहा कि श्रीअरविन्द की पूरी योग प्रणाली को, उनके जीवन और आध्यात्मिक संदेश को माताजी ने ही अपनी तपस्या से ज़मीन पर उतारा। केदारखंडी ने कहा कि श्रीअरविन्द और श्रीमाँ अनंत काल से ही एक ही दिव्य चेतना के दो स्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि श्रीअरविन्द आश्रम की व्यवस्था के साथ साथ माताजी ने पॉन्डिचेरी में श्रीअरविन्द सोसायटी, श्रीअरविन्द विश्वविद्यालय, मानव एकता की प्रतीक आध्यात्मिक नगरी ऑरोविल की स्थापना करके महर्षि के संदेश को वास्तविक धरातल पर उतारा है।
केदारखंडी ने कहा कि श्रीअरविन्द आश्रम सामुदायिक जीवन की एक प्रयोगशाला है जहाँ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की साधना हो रही है और कर्म के द्वारा व्यक्तिगत पूर्णता का प्रयोग हो रहा है क्योंकि संसार और अध्यात्म के बीच की दीवार को पाटते हुए श्रीअरविन्द ने कहा है *सारा जीवन ही योग है*…। महाविद्यालय परिवार की ओर से डॉ. किशोरी लाल ने श्रीअरविन्द विरचित दुर्गा स्तोत्र का पाठ किया ।
संस्कृति विशारद डॉ. नवीन पंत के कुशल मंच संचालन में हुए इस कार्यक्रम में प्रोफेसर सत्यनारायण राव, डॉ. गोपाल कृष्ण सेमवाल, श्रीअरविन्द केंद्र जोशीमठ के सदस्य डॉ.मुकेश चंद, डॉ. नवीन कोहली, डॉ. रणजीत सिंह मर्तोलिया, डॉ. राहुल तिवारी, डॉ.पवन कुमार, डॉ. धीरेंद्र सिंह, डॉ. राजेन्द्र सिंह डॉ. शैलेन्द्र रावत, डॉ. नेपाल सिंह, डॉ. राहुल मिश्रा, डॉ. मोनिका सती,रणजीत सिंह राणा, रचना, जयप्रकाश, हरीश नेगी, आनंद सिंह, जगदीश लाल, थान सिंह कंडारी, पुष्कर लाल, नंदी, अनीता, शिव सिंह, अजय सिंह, मुकेश सिंह उपस्थित रहे ।