बड़ी ख़बर: पहाड़ के डाकघरों में हरियाणा और पंजाब के 157 युवा देंगे सेवाएं, जबकि उत्तराखंड से मात्र तीन ही चयनित।
बदलता गढ़वाल न्यूज,
गोपेश्वर/प्रमोद सेमवाल।
उत्तराखंड में सरकारी नौकरी के लिए मारामारी मची है, वहीं डाक विभाग में बीपीएम (ब्रांच पोस्ट मास्टर) और एबीपीएम (असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर) के पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया में अधिकांश युवा हरियाणा और पंजाब के नियुक्त हैं।
डाक विभाग में मेरिट आधार पर बीपीएम और एबीपीएम के 160 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण हो गई है, जिसमें 157 पदों पर हरियाणा और पंजाब के युवा नियुक्त हुए हैं, जबकि मात्र तीन पदों पर उत्तराखंड के एसटी (अनुसूचित जनजाति) कोटे के अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई है। अब सफल अभ्यर्थियों को चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के पोस्टऑफिस आवंटित किए जाएंगे।
चमोली व रुद्रप्रयाग जिले के डाक विभाग का प्रधान कार्यालय गोपेश्वर में स्थित है। चमोली व रुद्रप्रयाग में 348 शाखा डाकघर, 39 वितरण केंद्र व 5 उपडाकघर संचालित होते हैं अधिकांश डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों से घिरे हुए हैं। दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्ग और दिव्यांग उपभोक्ता लेन-देन के लिए पोस्टऑफिस पर ही निर्भर रहते हैं। कई शाखा डाकघर में डाकपाल, डाक रनर (डाक लाना-ले जाना) और सहायक शाखा डाकपाल के पद लंबे समय से रिक्त चल रहे थे।
बीते मई माह में डाक विभाग की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर ब्रांच पोस्ट मास्टर और सहायक शाखा डाकपाल के पदों पर विज्ञप्ति जारी की गई थी। नियुक्तियां मेरिट के आधार पर की गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के अभ्यर्थी शामिल हुए। सबसे अधिक मेरिट वाले अभ्यर्थी हरियाणा और पंजाब के मिले। प्रधान डाकघर गोपेश्वर की ओर से सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। डाकघरों में बीपीएम व एबीपीएम के पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया गतिमान है। अधिकांश अभ्यर्थी हरियाणा और पंजाब के सफल हुए हैं। उन्हें प्राथमिकता वाले डाकघरों में नियुक्त किया जाएगा।
रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के डाकघरों में नियुक्त होने जा रहे हरियाणा और पंजाब के अधिकांश अभ्यर्थियों के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में गणित विषय में 100 में से 99 अंक हासिल किए हैं। मगर उनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें प्रतिशत निकालना ही नहीं आ रहा है। डाक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वे पत्र भी ढंग से नहीं लिख पा रहे हैं। उन्हें गढ़वाली बोली भी समझ में नहीं आ रही है। हिंदी भी ढंग से नहीं बोल पा रहे हैं। ऐसे में ये अभ्यर्थी ग्रामीण क्षेत्रों के पोस्ट ऑफिस को कैसे संभाल पाएंगे, यह सोचनीय विषय है