*मानवीय संवेदनाओं का बोलता हुआ दस्तावेज़ है केदारखंडी का काव्य संग्रह।*


बदलता गढ़वाल(04जून2023)।*मानवीय संवेदनाओं का बोलता हुआ दस्तावेज़ है केदारखंडी का काव्य संग्रह*

जोशीमठ। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ में अंग्रेजी साहित्य के सहायक प्रोफेसर और लेखक डॉ. चरणसिंह केदारखंडी के तीसरे काव्य संग्रह “डांसिंग विथ द मून एंड उदर पोयम्स” (Dancing with the Moon and Other Poems) का विमोचन समारोह धर्मनगरी जोशीमठ के विकासखंड सभागार में सम्पन्न हुआ। पुस्तक का प्रकाशन और समारोह का आयोजन पिछले एक दशक से जोशीमठ में महर्षि श्रीअरविन्द और श्रीमाँ के जीवन दर्शन को समर्पित संस्था “श्रीअरविन्द अध्ययन केंद्र जोशीमठ ” द्वारा किया गया। इस पुस्तक का मुद्रण श्रीअरविन्द आश्रम प्रेस पॉन्डिचेरी ने किया है और कवर पृष्ठ पर प्रीति घोष की पेंटिंग है।

मुख्य अतिथि प्रो. वी. एन. खाली और विशिष्ट अतिथि के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती, डॉ. गोपाल कृष्ण , डॉ. मोहन रावत और डॉ. सुमन सिंह राणा ने महर्षि और श्रीमाँ के चित्र पर दीप प्रज्वलित करके किया।

कार्यक्रम में सबसे पहले केंद्र के अध्यक्ष और संचालक अरविन्द पंत ने उपस्थित साहित्यकारों और नगर के बुद्धिजीवी वर्ग का स्वागत किया । उसके उपरांत सचिव ओमप्रकाश डोभाल ने केंद्र की विभिन्न गतिविधियों का परिचय उपस्थित जनमानस के सम्मुख प्रस्तुत किया। इसके पश्चात केंद्र के पदाधिकारियों और अतिथियों के द्वारा पुस्तक का औपचारिक विमोचन किया गया। पुस्तक की समीक्षा के लिए आमंत्रित अतिथि और कवि अतुल सती ने इसे अँग्रेजी साहित्य की एक अनमोल धरोहर बताया और भाषा, भाव, व्यंजना और काव्यात्मक अभिव्यक्ति का शानदार उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि कवि ने जिस दृष्टि से पूरे विश्व की घटनाओं पर जिस स्पष्टता और मार्मिकता से न केवल लिखा है बल्कि समाधान भी प्रस्तुत किया है, वह अनुपम है। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए राजकीय महाविद्यालय जोशीमठ के प्राचार्य और स्वयं समर्थ कवि प्रो. विश्वनाथ खाली ने कहा कि एक शिक्षक के लिए इससे बड़ा पुरस्कार और सुकून कुछ नहीं हो सकता कि उसका पढ़ाया हुआ शिष्य इतना उम्दा काव्य संकलन लिखे। उन्होंने कहा कि वास्तविक रूप से श्रेष्ठ चिंतन ही किसी समाज की श्रेष्ठता का मापक होता है। पुस्तक की समीक्षा करते हुए प्रो. खाली ने कहा कि कवि ने प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण, नारी सुरक्षा और सम्मान जैसे विषयों के साथ साथ अनेक वैश्विक घटनाओं पर भी अपनी दृष्टि से देखा है, जो सराहनीय और प्रेरक है।

प्रकृति, अध्यात्म, मानव जीवन, युवा शक्ति का निर्माण, दर्शन, जीवन के सबसे मौलिक प्रश्न, कश्मीरी पंडितों का दर्द, कृतिम बौद्धिकता और केदारनाथ की त्रासदी सहित कई विषयों पर हिमालय में बैठकर कवि ने अपनी संवेदनशील लेखनी चलाई है। अतुल सती और प्रो. खाली ने कहा कि ‘डांसिंग विथ द मून, हाऊ कैन द बर्ड्स सिंग, द रोज विल नेवर टेल यू, इमेजेज ऑफ ब्रोकन ड्रीम्स, कश्मीर, ए ड्रीम ऑन प्रेसिपीस, ए रैग पिकर डॉटर, क्लासरूम इज़ द बेस्ट होप, आई विल रेमेम्बेर, पनाश, टी ब्रेक विथ शेली, माई वे इज़ हाईवे, द मिस्टिक हिमालय, इंडिया, ए वंडरलैंड ऑन अर्थ, कंवल्शन्स और शिवा डंसड इन केदारनाथ जैसी कविताएं लंबे समय तक अपना प्रभाव और अपनी गूंज छोड़ेंगी।

अपने वक्तव्य में कवि केदारखंडी ने कहा कि सच्ची हमदर्दी के साथ दूसरों का दर्द महसूस करना और उसे कम करने की कोशिश करना कवि होने के साथ साथ इंसान होने की बुनियादी शर्त है। उन्होंने कहा कि समाज रूपी इस विशाल विश्वविद्यालय ने उन्हें जो सिखाया है, वही पीड़ा, हमदर्दी और सामर्थ्य की रोशनी बनकर इन कविताओं में सामने आया है। डॉ. केदारखंडी ने जोशीमठ की पावन भूमि के ऋण को याद किया।

केंद्र के संयुक्त सचिव महावीर फर्स्वाण ‘श्रद्धालु’ ने सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का आभार प्रकट किया। अरविन्द पंत और ओमप्रकाश डोभाल के संयुक्त संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में क्षेत्र के चर्चित साहित्यकार भगत सिंह राणा ‘हिमाद’, उदीयमान कवयित्री विनीता भट्ट, कैलाश भट्ट, प्रकाश पँवार, डॉ.राजेन्द्र सिंह, डॉ. धीरेंद्र सिंह, डॉ. आनन्द कुमार, वीरेंद्र सनवाल, दाताराम बर्थवाल , अनिल पँवार, प्रकाश नेजी आदि उपस्थित रहे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed