रंग और पेंटिंग्स के जरिए कैनवास पर उकेरा महिलाओं का जीवन संघर्ष और लोकसंस्कृति को दिलाई नयी पहचान*


*रंग और पेंटिंग्स के जरिए कैनवास पर उकेरा महिलाओं का जीवन संघर्ष और लोकसंस्कृति को दिलाई नयी पहचान*

हल्द्वानी: उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी कुसुम पांडे आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। प्रतिभा की धनी कुसुम ने पेंटिंग की ही एक विधादृश्यकला में अपना अलग मुकाम बनाया है। हल्द्वानी में पली बढी कुसुम की स्कूली पढाई हल्द्वानी से हुये जिसके बाद इन्होने छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से वर्ष 2015 में बीए फाइन आर्ट की डिग्री प्राप्त की तत्पश्चात दिल्ली विश्वविद्यालय के कालेज आफ आर्ट से वर्ष 2017 में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट की डिग्री हासील की, इस दौरान कुसुम ने पेंटिंग की दृश्यकला विधा में महारथ हासिल कर ली थी। इसके अलावा कुसुम को चित्रकला, मूर्तिकला और विभिन्न प्रकार के क्राफ्ट बनाने में भी बेहद रुचि है।

महिलाओं के संघर्ष और प्रकृति से कला की ओर बढा रूझान!

बचपन से ही कुसुम को उत्तराखंड के गांव और यहां की औरतों के दैनिक जीवन के क्रियाकलाप, सुंदर वेशभूषा, आभूषण, लोकजीवन, लोककला व सांस्कृतिक जीवन, खेत-खलिहान, पहाड़, नदियां, जंगल, बादल बेहद आकर्षित करते हैं। यहीं से उसमें कला के प्रति आकर्षण बढा। देश का एक बड़ा चित्रकार बनने की तमन्ना मन मे लिए कुसुम नें पेंटिंग को कैरियर बनाने की ठानी और आज वह पेंटिंग में देश की जानी पहचानी चेहरा है। बकौल कुसुम, दृश्यकला विधा में निपुण कलाकार अपनी रचनाशीलता को किसी सरफेस, जैसे जिंक, कापर प्लेट, स्टोन (लिथोग्राफी) पर ड्राइंग करके उन्हें उकेरता है। अपनी थीम को उकेरने के बाद वह विभिन्न रसायनिक अम्लों के प्रयोग व अन्य विधियों से ब्लाक बनाता है और फिर उनके प्रिंट पेपर कपड़े पर लिए जाते हैं।

कुसुम की उत्तराखंड वू-मैन विद नेचर की जिंक प्लेट पेंटिंग नें खींचा देश दुनियाभर का ध्यान!

कुसुम 2018 में तब चर्चाओं में आई जब कुसम की उत्तराखंड वू-मैन विद नेचर शीर्षक वाली जिंक प्लेट पर उकेर कर बनाई गई पेंटिंग राष्ट्रीय ललित कला अकादमी को इस कदर भाई कि उसने दुनियाभर के चित्रकारों की पेंटिंग बिनाले-2018 के आयोजन के लिए इसे चुना। दुनियाभर के चित्रकारों की पेंटिंग्स की इस प्रतियोगिता में कुसुम की पेंटिंग को वाहवाही मिली और हर किसी नें इसे सराहा था। कुसुम नें अपनी इस पेंटिंग में एक पहाड़ की स्त्री के जीवन के सभी पहलुओं को बेहद खूबसूरती से उकेरा है। इसमें किसी कलाकार को पहाड़ का ग्राम्य जीवन नजर आएगा तो वहां की स्त्री की पारंपरिक वेशभूषा और कुदरती सौंदर्य की झलकियां साथ-साथ देखने को मिलेंगी। इस पेंटिंग की एक सबसे अहम बात यह है कि इसमें पहाड़ की एक स्त्री मशरूम पर खड़ी है। जो इस बात को चरितार्थ करती है कि महिलाओं का जीवन संघर्ष बेहद कठिन है। कुसुम की ये पेंटिंग अमेरिका, जापान, जर्मनी, बांग्लादेश, दुबई, नार्वे समेत तमाम मुल्कों में सराही गई।

कुसुम का रंग गीत आर्ट सेंटर!

कुसुम नें हल्द्वानी में रंग गीत आर्ट सेंटर नाम से उत्तराखंड का पहला फाइन आर्ट स्टूडियो शुरू किया है। कुसुम कहती हैं कि उत्तराखंड में फाइन आर्ट में कैरियर बनाने के लिए संसाधनों का आभाव और आगे बढने के अवसर/ प्लेटफार्म बेहद सीमित हैं। कुसुम ने ये सब बेहद करीब से देखा है इसलिए उन्होने अपने पति मनोज पांडे के साथ मिलकर स्टूडियो खोला। वह कहती हैं कि स्टूडियो के होने से कलाकारों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। कला को कैरियर बनाने वाले प्रतिभाशाली युवाओं को उत्तराखंड में ही मौके मिलें इसी उद्देश्य से हमने रंग गीत आर्ट सेंटर खोला है। कुसुम कहती हैं की कला उनका जुनून है। वह अपनी लोक संस्कृति से बेहद प्यार करती हैं इसलिए वो अपनी कला में उत्तराखंड की संस्कृति को ही दिखाती हैं। उनका मकसद है कि वह राज्य के युवाओं को दृश्यकला के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में सहायता करे इसलिए उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। कुसम कहती है कि आज जहां हूं उसके पीछे पति मनोज पांडे समेत तमाम गुरुओं का हर कदम पर साथ रहा और प्रोत्साहन मिला।

विभिन्न अवसरों पर मिल चुके हैं अनगिनत सम्मान!

हल्द्वानी की कुसुम पांडे की कूची कैनवास पर ऐसे चलती हैं कि हर पेंटिंग कुछ अलग ही एहसास कराने लगती हैं। कुसुम के हुनर की सराहना अब देश भर में होने लगी हैं। उन्हें विभिन्न अवसरो पर विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। कुसुम को अब तक 40 से अधिक पुरूस्कार मिल चुके हैं। जिनमें नंदा शक्ति सम्मान, ललित कला अकादमी पुरस्कार सहित अन्य सम्मान शामिल है। विगत दिनो देहरादून के राजभवन में आयोजित बसन्तोत्सव में भी कुसुम की पेंटिंग्स को हर किसी नें सराहा। इस दौरान उन्हें बसन्तोत्सव में सम्मानित किया गया।


कुसुम की पेंटिंग की इन जगह लग चुकी हैं प्रदर्शनी:-

कुसुम पांडे की पेंटिंग्स की हल्द्वानी से लेकर नैनीताल, अल्मोडा, देहरादून के अलावा मध्यम प्रदेश, चंडीगढ़, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार आदि राज्यों में भी प्रदर्शनी लग चुकी हैं। जहां हर किसी नें कुसुम की कला की भूरी भूरी प्रशंसा की। वर्ष 2021 में ललित कला अकादमी के ओर रविंद्र भवन दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी, 2021 में ही गौरी स्टूडियो दिल्ली में महिलाओं पर आधारित राष्ट्रीय पेंटिंग प्रदर्शनी, 2020 में कालांतर फाउंडेशन नागपुर की ओर से आयोजित आनलाइन फाउंडेशन में कुसुम की पेंटिंग को स्थान मिल चुका है।

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