बागेश्वर जिले में खड़िया खनन को लेकर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सचिव और निदेशक खनन को किया तलब

बदलता गढ़वाल न्यूज,
बागेश्वर।

उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर के कांडा में खड़िया खनन से आई दरारों का स्वतः संज्ञान संबंधी जनहित याचिका को अति गम्भीर मानते हुए कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट का आंकलन कर 9 जनवरी को निदेशक खनन और औद्योगिक सचिव को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से स्थिति से अवगत कराने को कहा है।

मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ती मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने बागेश्वर जिले में खड़िया के खनन पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी.कोर्ट कमिश्नर दुष्यंत मैनाली की रिपोर्ट के अनुसार, खड़िया खनन करने वालों ने वनभूमि के साथ साथ सरकारी भूमि में भी नियम विरुद्ध खनन किया है। इससे, पहाड़ी दरकने लगी है और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसकी कई फोटोग्राफ और वीडियो रिपोर्ट में पेश की गई है।

बात दें कि पिछली सुनवाई में न्यायालय ने गाँव वालों की समस्या को जानने के लिए दो न्यायमित्र नियुक्त करते हुए उनसे अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। साथ में खण्डपीठ ने डी.एफ.ओ.बागेश्वर, स्टेट लेवल पर्यावरण सुरक्षा अथॉरिटी और जिला खनन अधिकारी को पक्षकार बनाते हुए अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। ग्रामीणों ने अपने प्रार्थनपत्र में एक समाचार पत्र से हुई वार्ता में कहा था कि उनकी बात न तो डी.एम.और न ही सी.एम.सुन रहा है। ग्रामीण भी लंबे समय से विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं। कहा की जिनके पास साधन थे वे हल्द्वानी बस गए, लेकिन गरीब गाँव में ही रह गए। अवैध खड़िया खनन करने से गांव, मंदिर, पहाड़ीयो पर बड़ी बड़ी दरारें आ चुकी हैं। बरसात के दौरान इनमें पानी भरने से कभी भी भू स्खलन हो सकता है। उनकी कृषि भूमि नष्ट हो रही है। इसपर रोक लगाई जाए और उन्हें शुरक्षित जगह पर विस्थापित किया जाय।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *